..शहीद जवानों के खून का अपमान नही सहन किया जायेगा ..


आज लिखने के लिए कुछ नही है मेरे पास सिर्फ आक्रोष है  जिसे शब्दों में पिरो सकता हूँ और जिस दिन इससे ज्यादा कर पाया तो कर के दिखाऊंगा .१२५ करोड़ की आबादी के देश की सबसे बड़ी विपक्ष पार्टी का नेत्रत्व करने वाला अपना काम सिद्ध करने के लिए सेना के बारे में  कुछ भी बोलेगा .वैसे इन के लिए ये सब नया नही है शुरू से ही ऐसे बोलना इनके खून में है १९८४ में भी इसी पार्टी के महान नायक की ओर से बयान आया था की की "जब बड़े बड़े पेड़ गिरते है तो थोड़ी बहुत धरती तो हिलती ही है " ये ही लोगो है जिन्होंने दलित शब्द सबसे ज्यादा प्रयोग किया है और आज से ही नही पुराने समय से करते आ रहे है .१९७० के आस पास इन्होने ही बोला था "गरीबी हटाओ " आज तक उस शब्द का प्रयोग कर रहे है .लकिन अब तो हद कर दी शहीदों के खून का अपमान करने लगे हुए  हैं  ...लकिन अब ये हिंदुस्तान  सहन नही  करेगा ...वो बोलते है न की आप अपनी वाणी में अमृत नही घोल सकते तो जहर भी मत घोलो ..क्या राजनीति कर रहे हो कुछ तो शर्म करो ?अगर नही करनी आती है तो छोड़ दो ..कम से कम इतना भी मत गिराओ की कोई अच्छा इन्सान आ ही न सके ..
                                                   बहुत बुरा मिजाज है साहब  ..राशन कार्ड बनाने वाले भी सेना से विडियो मांग रहे है उनको लगता है हमारे प्रमाणित किये बगैर ऐसा कैसे हो गया इनके बारे में तो बोले ही क्या इन्होने तो जब से आये है सब चीजो की हद ही कर रखी है इनको लगता है हिंदुस्तान में जो भी काम हो हम से ही पूछ कर हो अब इनको ये बात कौन  बताये की आप से आप के मंत्री राशन कार्ड बनाते समय नही पूछते ये तो भारत की स्वतंत्रत सेना है "ये न किसी उपकार की सगी है न किसी के परोपकार की ये तो सिर्फ तिरंगे की सगी है ...-shifuji "
                              अब एक तीसरा नया ही दल निकला है जो बड़ी बड़ी बाते कर रहा है आजकल कला की बात करता है बोलते हैं  कला का आंतकवाद से कोई लेना देना नही है यारो किस कला की बात करते हो तुमारे स्टंट तो कोई और करता है सेना के सामने क्या कला है तुम्हारी तुम लोग उस पे मूवी बनाते हो जो वो वास्तव में कर चुके होते है तुम और तुम्हारी ये कला मच्छर के समान है सेना के सामने इसलिए ये फ़िल्मी ढोंग मत करो तो ही अच्छा है ....अच्छा एक बात मेरे समझ में नही आई  ये बोलते हैं  की कलाकर ,लेखक को इन सब में मत लाओ इनका कोई  रोल नही आंतक से लड़ने में ...तो क्या आंतकवादी मारते  समय ये देखता है की वो सैनिक है या कलाकार है .
                 एक महान इन्सान कल ज्ञान दे रहा था की सरकार उनको वीजा ही क्यों देती है .तो साहब आपको भी सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस दिया था इसका मतलब ये थोड़ी न था की आप गाड़ी कैसे और कंही पे चलाओगे कितने मासूमो की जान गयी थी कभी सोचा बैठ के ...हम उनकी  कला का दिल से स्वागत करते है लकिन जब हम यंहा बैठ कर पेशावर हमले की कड़े शब्दों में निंदा कर सकते है तो उनकी जन्म भूमि से उनकी कर्म भूमि पे हो रहे आंतकी हमलो की वो निंदा क्यों नही कर सकते .....
                                                                          हो सकता है मेरी वर्तनी शुध नही हो क्यूकि में कोई लेखक नही हूँ  लकिन आजकल जो कुछ चल रहा है उस पे मेरे ये ही विचार है
                            ....मेरे .महान भारत की महान सेना को मेरा दिल से अभिनंदन ...
        ... जय हिन्द ..............भारत माता की जय ............इंकलाब जिंदाबाद..........जय हिन्द ...
                                                                         

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